भाषा और लिपि का परिचय और अंतर कक्षा 12 pdf

संसार में संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी , बांग्ला , गुजराती , उर्दू,  मलयालम ,पंजाबी ,उड़िया, जर्मन  , इतालवी , चीनी जैसी अनेक भाषाएं हैं ।भारत अनेक भाषा- भाषी वाले  लोगों और उनकी भाषाओं से मिलकर भारत राष्ट्र बना है। संस्कृत,  हमारी सभी भारतीय भाषाओं की  सूत्र भाषा है तथा वर्तमान में हिंदी हमारी  राजभाषा है। 


भाषा के दो प्रकार होते है-
 पहले मौखिक वह दूसरालिखित- 
मौखिक भाषा-  आपस में बातचीत के द्वारा भाषण और संबोधन में प्रयोग में लायी जाती है।
 लिखितभाषा- लिपि के माध्यमसे लिखकर प्रयोग लायी जाती है ।
# भाषास्थाई नहीं होती उसमें दूसरी भाषा के लोगों के संपर्क में आने से परिवर्तन होते रहते हैं । भाषा में यह परिवर्तन धीरे-धीरे होता है और इन परिवतर्तनो के कारण नयी नयी भाषाएं बनती रहती  है । इसी कारण संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि के क्रम में ही आज की हिंदी भाषा तथा राजस्थानी , गुजराती , पंजाबी,  सिंधी बांग्ला ,उडिया, असमिया, मराठी आदि अनेक भाषाओं का विकास हुआ है।
भाषा केभेद -
भाषा के मुख्यतः दो भेद होते हैं एक लिखित दूसरा मौखिक और इनको समझाना आपकी दिनचर्या के अनुरूप है जब हम आपस में बातचीत करते हैं तो मौखिक भाषा का प्रयोग करते हैं तथा पत्र लेखन ,पुस्तक, समाचार पत्र आदि में लिखित भाषा का प्रयोग करते हैं । विचारों का संग्रह अभी हम लिखित भाषा में ही करते हैं यह भाषा का भेद जो है वह भाषा के उपयोग पर आधारित होता है अर्थात् भाव लिखित में प्रकट करने पर भाषा का लिखित भेद सामने आता है और जब भाव को कहकर प्रकट किया जाता है तो भाषा का मौखिक भाव भेद उभरकर सामने आता है। यही भाषा के मुख्यतः दो भेद हैं , जिन्हें आप दैनिक जीवन में उपयोग भी करते हैं और समझते भी हैं ।
भाषा और बोली दोनों में अंतर +
एक सीमित क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा के स्थानीय रूप को बोली कहा जाता है जिसे उपभाषा भी कहते हैं भाषा का सीमित विकसित तथा आम बोलचाल वाला रूप बोली कहलाता है, जिससे साहित्य रचना नहीं होती तथा जिसकी व्याकरण नहीं होता वह शब्दकोश भी नहीं होता। जबकि भाषा विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती है उसका व्याकरण तथा शब्दकोश होता है तथा उसमें साहित्य लिखा जाता है। किसी बोली का संरक्षण तथा अन्य कर्म से यदिक्षेत्र विस्तृत  होने लगता है तथा उसमें साहित्य लिखा जाने लगता है तो वह भाषा बनने लगती है तथा उसका व्याकरण  भी निश्चितहोने लगता है। यही बोली और भाषामें अंतर है 
हिंदी की बोलियां कुछ इस प्रकारहै- 
हिंदी  भाषा केवल खड़ी बोली का ही विकसित रूप नहीं है बल्कि जिसमें अन्य बोलियां भी समाहित है जिसमें खड़ी बोली भी शामिल है  यह निम्नवत है -
१. पूर्व हिंदी जिम अवधी ,बघेली ,छत्तीसगढ़ी शामिल है ।
२. पश्चिम हिंदी में खड़ी बोली, ब्रज ,बांगरू( हरियाणवी), बुंदेली ,कन्नौजी भी शामिल है ।
३. बिहारी की प्रमुख बोलियां मगही, मैथिली, भोजपुरी है।
४. राजस्थानी  में मेवाड़ी ,मारवाड़ी,  मेवाती तथा हाडोती बोलियां शामिल हैं । कुछ विद्वान मालवि, ढूंढाड़ी तथा बागड़ी को भी राजस्थानी की अलग बोलियां मानते हैं ।
५. पहाड़ी की गढ़वाली ,कुमाऊॅनी , मंडियाली बोलियां हिंदी की बोलियां हैं।
इन बलियो के मेल से बनी हिंदी भाषा 14सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा स्वीकार की गई। विभिन्न बलियो के मेल से हिंदी की भाषण विविधता के कारण ही हिंदीके क्षेत्रीय मैं विविधता पाई जाती है।
हिंदी भाषा और व्याकरण -
हिंदी व्याकरण हिंदीभाषा को लिखने और शब्द रूप से बोलने संबंधी नियमों की जानकारी देने वाला शास्त्र है। किसी भी भाषाको जानने के लिए उसके व्याकरण को भी जानना आवश्यक होता है । हिंदी की विभिन्न ध्वनि, वर्ण, पद, पद्यांश, शब्द, शब्दांश ,वाक्य ,वाक्यांश आदि की विवेचना और उसके विभिन्न घटकों- प्रकारों का वर्णन हिंदी व्याकरण में किया जाता है। हिंदी व्याकरण को मोटे तौर पर वर्ण विचार, शब्द विचार ,वाक्यविचार आदि तीन वर्गों में विभाजित कर उनके विभिन्न पक्षों को समझा जाता है। 
लिपि की परिभाषा -
किसीभी भाषा का का लिखित स्वरूप ही और लिखने का प्रकार ढंग ही उस भाषा की लिपि कहलाती है ।
देवनागरी लिपि का परिचय एवं वर्तनी 
भाषा की ध्वनियों में जिन लेखन चिन्हो में लिखा जाता है उसे लिपि कहते हैं । अर्थात् किसी भी भाषा की मौखिक ध्वनियों को लिखकर व्यक्त करने के लिए जिन वर्तनी चिन्हो का प्रयोग किया जाता है वह लिपि कहलाती है। संस्कृत ,मराठी, कोंकणी (गोवा), नेपाली आदि भाषाओं की लिपि देवनागरीहै
इसी प्रकार अंग्रेजी की ,रोमन पंजाबी की गुरुमुखी ,उर्दू की  लिपि फारसी है ।भारत सरकार के अधीन केंद्रीय हिंदी निर्देशक ने अनेक भाषाविदो, पत्रकारों, हिंदी सेवी संस्थाओं तथा विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के सहयोग से हिंदी की वर्तनी का देवनागरी  मैं एक मानक स्वरूप तैयार किया है जो सभी हिंदी प्रयोगों के लिए समान रूप से माननीय है ।
देवनागरी लिपि का निर्धारित मानक रूप - 
*स्वर 
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ 
*मात्राएं अ की कोई मात्रा नहीं , स्वर में वर्णों के  साथ उच्चारण में उपयोग में आने वाली तरंगों एवं ध्वनि स्वरों को मात्राएं कहते हैं ।
*अनुस्वार (अं)
*अनुनासिक चंद्रबिंदु (ॲ)
*विसर्ग ( : ) दुःख 
*व्यंजन 
क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म  य र ल व श ष स ह
*संयुक्त वजन
क्ष श्र ज्ञ त्र
*हल चिहॖन (ॖ)
*गृहीत स्वर 
 ऑ(ॉ) क़  ख़ ग़ ज़ फ़
*अंग्रेजी भाषासे गृहीत ध्वनि (-ॉ)
*फारसी भाषा से गृहीत ध्वनियां -
जैसे-  ग़रीब,  ग़जल,  फ़न , क़ौम ।
*पुनः याद रखने योग्य - 
१. हम अपनी बात एक दूसरे को भाषा के माध्यमसे कहते हैं ।
२. भाषाके  दो रूप ज्दोया भेद हैं मौखिक और।लिखित ।
(मौखिक भाषा को लिखने के लिए जिन लेखन चिन्हो का प्रयोग किया जाता है उसे लिपि कहते हैं )
३. भाषा के सीमितक्षेत्र में बोले जाने वाले स्थानीय स्वरूप को बोली या उपभाषा कहतेहैं।
४. हिंदी को 18 से 22 बोलियां और पांच भागों में विभाजित किया गया है - पूर्वी हिंदी,पश्चिमी हिंदी, राजस्थानी, बिहारी तथा पहाड़ी ।
५. भाषाको शुद्ध लिखने व बोलने  संबंधी जानकारी देने वाले शास्त्र को व्याकरण कहते हैं।
६. हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी लिपि है।

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