आज इतिहास में कई बार सुना जाता है कि कौन सी रानी ने अपना सिर काटकर राजा को भेज दिया था?
॓॓॓चुंडावत मांगी सेनानी सिर काट के दियो क्षत्राणी ॔॔ ॔
इस प्रकार का वाक्य है जो कि वहां की बोलचाल वाली भाषा में कहा जाता है तो चुंडावत मांगी सेनानी फिर सिर काट के दियो क्षत्राणी इस वाक्य में कहा गया है कि यह कहानी जो है जो इस वाक्य से स्पष्ट हो जाती है कि 16वी शताब्दी की है मतलब यह बात जो है वह सोलवीं शताब्दी की है जब मेवाड़ का राजाराज सिंह का शासन था जिनके सामंत सलूंबर के राव चूंड़ावत रतन सिंह थे ।
रतन सिंह की शादी उसी दौरान हाडा राजपूत सरदार की बेटी हाड़ी रानी से हुई थी अभी शादी को ज्यादा दिन भी नहीं हुए था कि रावत रतन सिंह को महाराणा राज सिंह का संदेश मिला जिसमें रतन सिंह ने दिल्ली से औरंगजेब की मदद के लिए आ रही अतिरिक्त सेना को किसी भी हाल में रोकने का निर्देश था।
इसके बाद रतन सिंह सेना के साथ महल से कूच कर गए लेकिन उनका ध्यान अभी रानी की ओर ही लगा था फिर रावत रतन सिंह चुंडावत जी ने अपने सेवक को रानी के पास भेजा और युद्ध में जाते समय वह अपनी पत्नी हाड़ा रानी की कोई भी निशानी मांगी तो रानी ने सोचा ठाकुर युद्ध में मेरे मोह के कारण नही लड़ेंगे तब रानी ने निशानी के तौर पर अपना सर काट कर दे दिया।
अपनी पत्नी का कटा शीश गले में लटका कर औरंगजेब की सेना के साथ भयंकर युद्ध किया और वीरता पूर्वक लड़ते हुए अपनी मातृ भूमि के लिए शहीद हो गए तो यह कहानी हाडा रानी की है जो कि हाडा राजपूत सरदार की बेटी थी और औरंगजेब से लड़ते हुए उनके पति की मृत्यु हो गई और रावत रतन सिंह हाडा रानी के पति थे जो कि मेवाड़ प्रांत के राजा थे।
कैसी लगी जानकारी यहां मैं कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे में जानने के लिए और भारत के इतिहास के बारे में जानने के लिए हमारे ब्लॉग स्पॉट चैनल को जरूर पढ़ते रहें।
धन्यवाद।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें