नाथूराम गोडसे का अंतिम बयान

सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने पर प्रकाशित किया गया 
60 साल तक भारत में प्रतिबंधित रहा नाथूराम गोडसे 
का अंतिम भाषण -
            
        #मैंने_गांधी_को_क्यों_मारा !

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी लेकिन नाथूराम गोड़से घटना स्थल से फरार नही हुए बल्कि उसने आत्मसमर्पण कर दिया 
नाथूराम गोड़से समेत 17 देशभक्तों पर गांधी की हत्या का मुकदमा चलाया गया इस मुकदमे की सुनवाई के दरम्यान #न्यायमूर्ति_खोसला से नाथूराम जी ने अपना वक्तव्य स्वयं पढ़ कर जनता को सुनाने की अनुमति माँगी थी जिसे न्यायमूर्ति ने स्वीकार कर लिया था पर यह कोर्ट परिसर तक ही सिमित रह गयी क्योकि सरकार ने नाथूराम के इस वक्तव्य पर प्रतिबन्ध लगा दिया था लेकिन नाथूराम के छोटे भाई और गांधी की हत्या के सह-अभियोगी गोपाल गोड़से ने 60 साल की लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट में विजय प्राप्त की और नाथूराम का वक्तव्य प्रकाशित किया गया l
                     *मैंने गांधी को क्यों मारा*

नाथूराम गोड़से ने गांधी हत्या के पक्ष में अपनी 
150 दलीलें न्यायलय के समक्ष प्रस्तुति की
नाथूराम गोड़से के वक्तव्य के कुछ मुख्य अंश....
नाथूराम जी का विचार था कि गांधी की अहिंसा हिन्दुओं 
को कायर बना देगी कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी को मुसलमानों ने निर्दयता से मार दिया था महात्मा गांधी सभी हिन्दुओं से गणेश शंकर विद्यार्थी की तरह अहिंसा के मार्ग पर चलकर बलिदान करने की बात करते थे नाथूराम गोड़से को भय था गांधी की ये अहिंसा वाली नीति हिन्दुओं को 
कमजोर बना देगी और वो अपना अधिकार कभी 
प्राप्त नहीं कर पायेंगे...
1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोलीकांड 
के बाद से पुरे देश में ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ 
आक्रोश उफ़ान पे था...
भारतीय जनता इस नरसंहार के #खलनायक_जनरल_डायर 
पर अभियोग चलाने की मंशा लेकर गांधी के पास गयी 
लेकिन गांधी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन 
देने से साफ़ मना कर दिया 
महात्मा गांधी ने खिलाफ़त आन्दोलन का समर्थन करके भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिकता का जहर घोल दिया  महात्मा गांधी खुद को मुसलमानों का हितैषी की तरह पेश करते थे वो #केरल_के_मोपला_मुसलमानों द्वारा वहाँ के 
1500 हिन्दूओं को मारने और 2000 से अधिक हिन्दुओं 
को मुसलमान बनाये जाने की घटना का विरोध 
तक नहीं कर सके 
कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में #नेताजी_सुभाष_चन्द्रबोस 
को बहुमत से काँग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गांधी ने #अपने_प्रिय_सीतारमय्या का समर्थन कर रहे थे गांधी ने सुभाष चन्द्र बोस से जोर जबरदस्ती करके इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर कर दिया...
23 मार्च 1931 को भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गयी पूरा देश इन वीर बालकों की फांसी को 
टालने के लिए महात्मा गांधी से प्रार्थना कर रहा था लेकिन गांधी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए देशवासियों की इस उचित माँग को अस्वीकार कर दिया 
गांधी #कश्मीर_के_हिन्दू_राजा_हरि_सिंह से कहा कि 
#कश्मीर_मुस्लिम_बहुल_क्षेत्र_है_अत:वहां का शासक 
कोई मुसलमान होना चाहिए अतएव राजा हरिसिंह को 
शासन छोड़ कर काशी जाकर प्रायश्चित करने जबकि  हैदराबाद के निज़ाम के शासन का गांधी जी ने समर्थन किया था जबकि हैदराबाद हिन्दू बहुल क्षेत्र था गांधी जी की नीतियाँ 
धर्म के साथ बदलती रहती थी उनकी मृत्यु के पश्चात 
सरदार पटेल ने सशक्त बलों के सहयोग से हैदराबाद को 
भारत में मिलाने का कार्य किया गांधी के रहते ऐसा करना संभव नहीं होता 
पाकिस्तान में हो रहे भीषण रक्तपात से किसी तरह से अपनी जान बचाकर भारत आने वाले विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली मुसलमानों ने मस्जिद में रहने वाले हिन्दुओं का विरोध किया जिसके आगे गांधी नतमस्तक हो गये और गांधी ने उन विस्थापित हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया 
महात्मा गांधी ने दिल्ली स्थित मंदिर में अपनी प्रार्थना सभा 
के दौरान नमाज पढ़ी जिसका मंदिर के पुजारी से लेकर 
तमाम हिन्दुओं ने विरोध किया लेकिन गांधी ने इस विरोध को दरकिनार कर दिया लेकिन महात्मा गांधी एक बार भी किसी मस्जिद में जाकर गीता का पाठ नहीं कर सके 
लाहौर कांग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से विजय 
प्राप्त हुयी किन्तु गान्धी अपनी जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया गांधी अपनी मांग 
को मनवाने के लिए अनशन-धरना-रूठना किसी से बात 
न करने जैसी युक्तियों को अपनाकर अपना काम 
निकलवाने में माहिर थे इसके लिए वो नीति-अनीति का लेशमात्र विचार भी नहीं करते थे
14 जून 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था लेकिन गांधी ने वहाँ पहुँच कर 
प्रस्ताव का समर्थन करवाया यह भी तब जबकि गांधी  
ने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश 
पर होगा न सिर्फ देश का विभाजन हुआ बल्कि लाखों 
निर्दोष लोगों का कत्लेआम भी हुआ लेकिन गांधी 
ने कुछ नहीं किया....
धर्म-निरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के जन्मदाता महात्मा गाँधी ही थे जब मुसलमानों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने का विरोध किया तो महात्मा गांधी ने सहर्ष ही इसे स्वीकार कर लिया और हिंदी की जगह हिन्दुस्तानी (हिंदी+उर्दू की खिचड़ी) को बढ़ावा देने लगे  बादशाह राम और बेगम सीता जैसे शब्दों का 
चलन शुरू हुआ...
कुछ एक मुसलमान द्वारा वंदेमातरम् गाने का विरोध करने 
पर महात्मा गांधी झुक गये और इस पावन गीत को भारत 
का राष्ट्र गान नहीं बनने दिया 
गांधी ने अनेक अवसरों पर शिवाजी महाराणा प्रताप व 
गुरू गोबिन्द सिंह को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा वही दूसरी 
ओर गांधी मोहम्मद अली जिन्ना को क़ायदे-आजम 
कहकर पुकारते था
कांग्रेस ने 1931 में स्वतंत्र भारत के राष्ट्र ध्वज बनाने के 
लिए एक समिति का गठन किया था इस समिति ने 
सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र को भारत का 
राष्ट्र ध्वज के डिजाइन को मान्यता दी किन्तु गांधी जी 
की जिद के कारण उसे बदल कर तिरंगा कर दिया गया 
जब सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में सोमनाथ 
मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया तब गांधी जी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य 
भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव 
को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला 
भारत को स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान को एक समझौते के तहत 75 करोड़ रूपये देने थे भारत ने 20 करोड़ रूपये 
दे भी दिए थे लेकिन इसी बीच 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने आक्रमण से क्षुब्ध होकर 55 करोड़ की 
राशि न देने का निर्णय लिया | जिसका महात्मा गांधी ने 
विरोध किया और आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप 55 करोड़ की राशि भारत ने पाकिस्तान 
को दे दी महात्मा गांधी भारत के नहीं अपितु पाकिस्तान 
के राष्ट्रपिता थे जो हर कदम पर पाकिस्तान के पक्ष में 
खड़े रहे फिर चाहे पाकिस्तान की मांग जायज हो या 
नाजायज गांधी ने कदाचित इसकी परवाह नहीं की 
उपरोक्त घटनाओं को देशविरोधी मानते हुए नाथूराम 
गोड़से जी ने महात्मा गांधी की हत्या को न्यायोचित 
ठहराने का प्रयास किया...
नाथूराम ने न्यायालय में स्वीकार किया कि माहात्मा गांधी बहुत बड़े देशभक्त थे उन्होंने निस्वार्थ भाव से देश सेवा की  
मैं उनका बहुत आदर करता हूँ लेकिन किसी भी देशभक्त 
को देश के टुकड़े करने के एक समप्रदाय के साथ पक्षपात करने की अनुमति नहीं दे सकता हूँ गांधी की हत्या के 
सिवा मेरे पास कोई दूसरा उपाय नहीं था...!!
#नाथूराम_गोड़सेजी द्वारा अदालत में 
दिए बयान के मुख्य अंश...
मैने गांधी को नहीं मारा
मैने गांधी का वध किया है..
वो मेरे दुश्मन नहीं थे परन्तु उनके निर्णय राष्ट्र के 
लिए घातक साबित हो रहे थे...
जब व्यक्ति के पास कोई रास्ता न बचे तब वह मज़बूरी 
में सही कार्य के लिए गलत रास्ता अपनाता है...
मुस्लिम लीग और पाकिस्तान निर्माण की गलत निति 
के प्रति गांधी की सकारात्मक प्रतिक्रिया ने ही मुझे 
मजबूर किया...
पाकिस्तान को 55 करोड़ का भुगतान करने की 
गैरवाजिब मांग को लेकर गांधी अनशन पर बैठे..
बटवारे में पाकिस्तान से आ रहे हिन्दुओ की आपबीती 
और दुर्दशा ने मुझे हिला के रख दिया था...
अखंड हिन्दू राष्ट्र गांधी के कारण मुस्लिम लीग 
के आगे घुटने टेक रहा था...
बेटो के सामने माँ का खंडित होकर टुकड़ो में बटना 
विभाजित होना असहनीय था...
अपनी ही धरती पर हम परदेशी बन गए थे..
मुस्लिम लीग की सारी गलत मांगो को 
गांधी मानते जा रहे थे..
मैने ये निर्णय किया कि भारत माँ को अब और 
विखंडित और दयनीय स्थिति में नहीं होने देना है 
तो मुझे गांधी को मारना ही होगा
और मैने इसलिए गांधी को मारा...!!
मुझे पता है इसके लिए मुझे फाँसी ही होगी 
और मैं इसके लिए भी तैयार हूं...
और हां यदि मातृभूमि की रक्षा करना अपराध हे 
तो मै यह अपराध बार बार करूँगा हर बार करूँगा ...
और जब तक सिन्ध नदी पुनः अखंड हिन्द में न बहने 
लगे तब तक मेरी अस्थियो का विसर्जन नहीं करना...!!
मुझे  फाँसी देते वक्त मेरे एक हाथ में केसरिया ध्वज 
और दूसरे हाथ में #अखंड_भारत का नक्शा हो...
मै फाँसी चढ़ते वक्त अखंड भारत की जय 
जयकार बोलना चाहूँगा...!!
हे भारत माँ मुझे दुःख है मै तेरी इतनी 
ही सेवा कर पाया....!!
#नाथूराम_गोडसे

🙏 🙏🙏

सौरभ पांडे आईएएस फ्रॉम मिर्जापुर

आज मैं बताने जा रहा हूं आपको स्वरूप पांडे के बारे में तो हार फिलहाल में ही एक वेब सीरीज बड़े ही  ट्रेंडिंग में आई थी जिसका नाम था मिर्जापुर उस में कुछ लड़कों ने रोल किया था जिसमें से एक का नाम था सौरभ पांडे जिसे कैंटीन में थप्पड़ मारा गया था और कहा गया था कि आई ए एस , वाई ए एस बनो और देश को संभालो तो आज वह कही गई बात सच हो गई
मिर्जापुर सबसे ज्यादा बार देखी जाने वाली वेब सीरीज बनी और साथ ही इसमें काम करने वाला सौरभ पांडे यूपीएससी में तीसरे एटेम्ट में 66 वीं रेंक में आईएएस 
और इस फिल्म में उनका किरदार बेहद ही शानदार रहा उन्होंने अपने किरदार को बेहतरीन तरीके से निभाया और सामने वाले व्यक्ति जिसने यह डायलॉग बोला था वह भी बेहतरीन किरदार को निभाते हुए अपनी भूमिका में इस प्रकार ढल गए कि उनकी कहीं बात सत्य साबित हुई और आज वह सच में सौरभ पांडे आईएएस बन गए
मिर्जापुर वेब सीरीज में बोलने वाला डायलॉग का किरदार इस व्यक्ति ने निभाया जो ऊपर दिखाई दे रहा है और सौरभ पांडे 66 वी रैंक के साथ आईएएस बने और उनकी बात को सत्य साबित किया इस प्रकार लोगों की बातों का बुरा ना माने और यह तो मात्र एक वेब सीरीज चीजों के मनोरंजन के लिए बनी गई थी और इसी प्रकार की हर छोटी-छोटी घटनाओं से प्रेरित होकर अपने जीवन में बदलाव करते रहें
ऐसी ही रोचक जानकारी पाने के लिए नए-नए फैक्ट जानने के लिए हमारे ब्लॉक को पढ़ते रहें धन्यवाद

अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक

अहिंसा परमो धर्मा
यह बात आजादी के समय की थी जब भारत देश आजाद हुआ सन 1947 उस समय महात्मा गांधी यानी कि बाबू बहुत ही प्रचलित थे और वह अपने अहिंसा वादी विचार और व्यक्तित्व के कारण बहुत ही प्रचलन में आए लोगों ने उनका व्यक्तित्व बड़ी सादगी के साथ अपनाया उनका सादा जीवन बहुत ही सरल था और उनका उस समय सबसे प्रचलित वाक्य था अहिंसा परमो धर्म और आज दुनिया उसी पर टिकी है यह कहना गलत नहीं होगा कि यह मात्र एक दिखावा और झूठ है क्योंकि महात्मा गांधी ने यह श्लोक आधा ही अपने विचार में उतारा पूर्ण रूप से इस विचार पर ना उतरे और ना ही जीवन में अपनाया इस कारण यह कहना गलत नहीं है कि उन्होंने गलत किया
पूरा श्लोक:-
अहिंसा परमो धर्म:/
 धर्म: हिंसा तथैव च://
अर्थात हे अर्जुन अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी श्रेष्ठ है
महात्मा गांधी द्वारा बोला गया यह वाक्य है कि अहिंसा परमो धर्म है अर्थात अहिंसा ही परम धर्म है या अकबराबाद के लोगों के जीवन को कमजोर बना देता है इसी कारण नाथूराम गोडसे ने उनको गोली मारी क्योंकि उनका बयान यह था कि अहिंसा इस हिंदुस्तानी व्यक्ति को कमजोर और कायर बना देगी मैं ऐसा नहीं होने देगा और मैं सही सा कीचड़ महात्मा गांधी को खत्म कर दूंगा ऐसा कहकर उन्होंने महात्मा गांधी को गोली मारी और उनकी मृत्यु हो गई 
                  अर्जुन को कृष्ण द्वारा दिया गया यह उपदेश सर्वथा उचित था क्योंकि आज के इस समय में वह पूर्ण रुप से उचित है और पूर्ण रूप से सही ढंग रूप से आकार में ढलता है क्योंकि आज के इस दुनिया में देखा जा सकता है कि अहिंसा चारों ओर फैली है जो कायरता में बदल रही है यह कायरता ही मनुष्य के अंदर बन रही वह भी रोता है जो मनुष्य को खोखला और बहुत ही कमजोर प्रस्तुत करती है समाज में कमजोर लोगों का कोई अस्तित्व नहीं होता इस बात को छुपाया नहीं जा सकता कृष्ण का उपदेश कि अहिंसा परम धर्म है लेकिन हिंसा करना भी धर्म के लिए उससे भी उचित है तो हिंसा अपने धर्म की रक्षा के लिए की जाएंगे अहिंसा का साथ हमेशा रहेगा लेकिन हिंसा का भी अस्तित्व अपनी जगह है क्योंकि हिंसा है तभी नहीं सका मैं तो है इंसान नहीं तो ऐसा भी कोई अस्तित्व नहीं रख सकती अहिंसा और हिंसा के अस्तित्व अस्तित्व की जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताइए और महत्वपूर्ण लोगों के बारे में पूर्ण जानकारी पाने के लिए हमारे ब्लॉक को पढ़ते रहिए धन्यवाद

वर्किंग वूमेन वर्सेस हाउसवाइफ

आज का हमारे ब्लॉक बहुत ही सुंदर होने जा रहा है क्योंकि आज हम इसमें एक ग्रहणी और एक कार्यशील महिला दोनों के बीच में अंतर बताने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं अमेजिंग फैक्ट और इससे छोटा महसूस ना करने के बारे में
ग्रहणी क्या है?
ग्रहणी घर में घर में कार्य करने वाले वहां औरत जो शादी के बाद में घर में ही रह जाती है और कोई कार्य नहीं करती है किसी प्रकार के आज दीपक हम आने के लिए और घर के कामकाज में अपना जीवन व्यतीत कर गुजार बैठती है
समय-समय पर इन्हें भी अपने जीवन में बदलाव करना चाहिए और कुछ नए कार्यों को करके अपने जीवन में कुछ बदलाव करके एक नए जीवन का अनुभव करना चाहिए और अपने बच्चों को भी एक अच्छी लाइफ देने के लिए इन्हें भी खुद की जीविका में और जीवन में परिवर्तन लाकर अपने परिवार को और अपने समाज को दुनिया को खुशहाल बनाना चाहिए और दूसरी तरफ ऐसे ही एक दूसरी महिला होती है जो अपनी एक अलग जिंदगी जीते हैं जिसे अपना वर्किंग वूमेन कहते हैं
वर्किंग वूमेन क्या है?
वर्किंग वूमेन वह है जो घर के साथ-साथ काम भी करती है बाहर जाती और समाज के साथ जोड़ती है समाज के नई पीढ़ियों को आने वाले वाले भविष्य से जोड़ने मैं मदद करने के लिए इनमें से कुछ महिलाएं उच्च पदों पर कार्य करती है तो कुछ राजनीतिक पदों पर भी कार्य करती है और साथ ही अपने सुखी एवं ग्रस्त जीवन को भी संभालती है ऐसी महिलाएं अक्सर जीवन में नए नए अनुभव कोशिश की और अपने बच्चों के जीवन को भी सुधारने में बहुत मेहनत करती हैं
महिलाओं का कार्यशील होना बहुत ही जरूरी है क्योंकि वह इससे साथ ही समाज को जान पाएंगी और बस इसके साथ एक नई दुनिया का विकास करेंगे जो दुनिया आने वाले भविष्य को एक नई ऊंचाइयों तक पहुंचा देगी
लोगों की सोच एक वर्किंग वुमन और एक हाउसवाइफ के प्रति
अपने अपने समाज और रहन-सहन के कारण लोग अपनी अपनी सोच में भी बदलाव लाते हैं जैसा कि हम जानते हैं कि गांव के लोगों की सोच हमारी सोच से बहुत अलग है गांव में एक गृहस्ती स्त्री को बहुत ही अच्छा माना जाता है और दूसरी तरफ वर्किंग वूमेन को यानी की कार्यशील औरत को बड़ी ही को दृष्टि से देखा जाता है वहीं शहर में इसका विपरीत वातावरण पाया जाता है जैसा कि एक ग्रह कार्यशील औरत को अच्छा और एक ग्रस्त स्त्री को बुरा बताया जाता है यह गांव और शहर की अलग-अलग सोचे ही मनुष्य के भीतर अलग-अलग भाव पैदा करते हैं और यह बात ही नहीं समाज को जन्म देते हैं कि समाज और भविष्य आने वाले समय में कैसा होगा
              कुछ लोगों में बुरी भाव नहीं होती है कुछ लोगों में अच्छी भावना ही होती है ना उनकी सोच होती है  यह सोच वही है जो देश को परिवर्तित करने और दुनिया को परिवर्तित करने की क्षमता रखती है यह अपनी बुद्धि और विवेक से ही कार्य करती है इसका अंदाजा इससे लगाया जाता है कि लोग इन दोनों ही अवस्थाओं में स्त्री का पति दोनों ओर से अच्छी और बुरी भावनाएं अपने और विचार अपने मन में रखते हैं कई लोग इन्हें बुरा और कई लोग इन्हें अच्छा बताते हैं उन्हीं में से आज मैं उदाहरण देने के लिए मशहूर मोटिवेशनल व्यक्ति का नाम उजागर करना चाहता हूं जो कि एक बार के मुंह में और एक हाउसवाइफ है बीच में यह जो अंतर है उसके प्रति एक नई सोच को पैदा करने में बहुत ही विकासशील एवं तेजी से बढ़ने वाला विचार प्रस्तुत करते हैं जिनका नाम है 
महिलाओं के बारे में चेतन भगत का विचार
        चेतन भगत नए-नए वीडियो में अपनी ही जीवन के बारे में कुछ बताते हैं और लोगों को अपने जीवन को बदलाव करने के लिए एस्पायर करते हैं यह कुछ ऐसे ही बातें कहे जाते हैं जैसे लोगों की बुद्धि में विकास होता है और लोगों की सोच एक अच्छी सोच में बदल जाती है इसी प्रकार चेतन भगत महिलाओं के बारे में भी कहते हैं कि महिलाओं को अपने आप को हाउसवाइफ कहकर अपना परिचय नहीं देना चाहिए क्योंकि वह तो घर की क्वीन है ऐसा इसलिए क्योंकि वह काम नहीं करती है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह हाउसवाइफ है क्योंकि उनकी शादी उस घर से नहीं हुई उस घर के मालिक से हुई है इसलिए वह एक दूसरे पर कहां से उस घर की रानी बन जाती है और रानी कहलाने के हक से ही वह घर की "क्वीन ऑफ़ द हाउस "कहलाने की हकदार हैं 
             तो उम्मीद करता हूं आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी इसी के साथ हमारे साथ जुड़े रही है और पढ़ते रहिए अमेजिंग फैक्ट पिक में और आज का फैक्ट है अच्छी सोच कर बता तो सोच बदलो दुनिया बदल जाएगी

भाषा और लिपि का परिचय और अंतर कक्षा 12 pdf

संसार में संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी , बांग्ला , गुजराती , उर्दू,  मलयालम ,पंजाबी ,उड़िया, जर्मन  , इतालवी , चीनी जैसी अनेक भाषाएं हैं ।भारत अ...