यह बात आजादी के समय की थी जब भारत देश आजाद हुआ सन 1947 उस समय महात्मा गांधी यानी कि बाबू बहुत ही प्रचलित थे और वह अपने अहिंसा वादी विचार और व्यक्तित्व के कारण बहुत ही प्रचलन में आए लोगों ने उनका व्यक्तित्व बड़ी सादगी के साथ अपनाया उनका सादा जीवन बहुत ही सरल था और उनका उस समय सबसे प्रचलित वाक्य था अहिंसा परमो धर्म और आज दुनिया उसी पर टिकी है यह कहना गलत नहीं होगा कि यह मात्र एक दिखावा और झूठ है क्योंकि महात्मा गांधी ने यह श्लोक आधा ही अपने विचार में उतारा पूर्ण रूप से इस विचार पर ना उतरे और ना ही जीवन में अपनाया इस कारण यह कहना गलत नहीं है कि उन्होंने गलत किया
पूरा श्लोक:-
अहिंसा परमो धर्म:/
धर्म: हिंसा तथैव च://
महात्मा गांधी द्वारा बोला गया यह वाक्य है कि अहिंसा परमो धर्म है अर्थात अहिंसा ही परम धर्म है या अकबराबाद के लोगों के जीवन को कमजोर बना देता है इसी कारण नाथूराम गोडसे ने उनको गोली मारी क्योंकि उनका बयान यह था कि अहिंसा इस हिंदुस्तानी व्यक्ति को कमजोर और कायर बना देगी मैं ऐसा नहीं होने देगा और मैं सही सा कीचड़ महात्मा गांधी को खत्म कर दूंगा ऐसा कहकर उन्होंने महात्मा गांधी को गोली मारी और उनकी मृत्यु हो गई
अर्जुन को कृष्ण द्वारा दिया गया यह उपदेश सर्वथा उचित था क्योंकि आज के इस समय में वह पूर्ण रुप से उचित है और पूर्ण रूप से सही ढंग रूप से आकार में ढलता है क्योंकि आज के इस दुनिया में देखा जा सकता है कि अहिंसा चारों ओर फैली है जो कायरता में बदल रही है यह कायरता ही मनुष्य के अंदर बन रही वह भी रोता है जो मनुष्य को खोखला और बहुत ही कमजोर प्रस्तुत करती है समाज में कमजोर लोगों का कोई अस्तित्व नहीं होता इस बात को छुपाया नहीं जा सकता कृष्ण का उपदेश कि अहिंसा परम धर्म है लेकिन हिंसा करना भी धर्म के लिए उससे भी उचित है तो हिंसा अपने धर्म की रक्षा के लिए की जाएंगे अहिंसा का साथ हमेशा रहेगा लेकिन हिंसा का भी अस्तित्व अपनी जगह है क्योंकि हिंसा है तभी नहीं सका मैं तो है इंसान नहीं तो ऐसा भी कोई अस्तित्व नहीं रख सकती अहिंसा और हिंसा के अस्तित्व अस्तित्व की जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताइए और महत्वपूर्ण लोगों के बारे में पूर्ण जानकारी पाने के लिए हमारे ब्लॉक को पढ़ते रहिए धन्यवाद
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