raghupati raghav raja ram(रघुपति राघव राजा राम)

हमारे दैनिक जीवन में बहुत सारे महोत्सव होते हैं और बहुत सारे दिवस  और जयंती हो या  प्रमुख पर कुछ भजन बजाए जाते हैं और इन्हीं में से कुछ भजनो में कुछ फेरबदल भी किया हुआ होता है। जिन्हें हम दरअसल समझ नहीं पाते हैं और बजने वाला वह  लेटेस्ट भजन ही ओरिजिनल समझ बैठते हैं ।
आज हमारे टोपिक  इसी बारे में है जो कि भजन तो बहुत ही अच्छा और सीधा है परंतु उसे इस तरह से बदलाव किया गया है जिससे समानता का परिचय दिया गया है परंतु जो कि पूर्ण रूप से गलत है क्योंकि किसी भी तरह से समानता को प्रदर्शित करने के लिए किसी भी लिखे गए सुलेख एवं भजन इत्यादि में हमें कोई भी छेड़खानी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि यह किसी को ठेस पहुंचा सकता है। किसी जाति,  संप्रदाय से इस तरह का कोई भी किया गया, वह बदलाव बहुत ही बड़ी क्रांति में बदल सकता है।
 तो आज का यह भजन है - (रघुपति राघव राजा राम) जी हां , आपने बहुत बारी ही गांधी जयंती के अवसर पर सुना होगा।  यह भजन जितना सुनने में मधुर और सुरीला है उतना ही इसके बोल गहरे हैं। इस भजन को सुना जाए तो इसमें बहुत ही गहरे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है भजन कुछ इस प्रकार है -
 पतित पावन सीता राम,
 ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
 सबको सन्मति दे भगवान ।
परंतु इसमें जाति संप्रदाय व धर्म के बीच में असमानता को कम करने के लिए वह सहिष्णु बनाने के लिए बदलाव किया गया है। यह भजन पूर्ण रूप से सही नहीं है इसका ओरिजिनल वर्जन बहुत ही अलग है जो कि केवल हिंदू धर्म में ही प्रयोग किया जाता है ।परंतु उस लिखे हुए भजन को आज तक किसी ने भी गाया नहीं है और गाया भी है तो उसे छिपा दिया गया है और यह बदलाव इस भजन में किसी और ने में बल्कि हमारे पूज्य बापू ने(महात्मा गांधी) ने किया था  जो कि इस प्रकार है-
रघुपति राघव राजाराम,
 पतित पावन सीताराम ,
सीताराम सीताराम ,
भज प्यारे तू सीता राम ,
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम ,
सबको सन्मति दे भगवान।
वास्तविकता में इसके बोल कुछ इस प्रकार हैं-
रघुपति राघव राजाराम,
 पतित पावन सीताराम ,
सुंदर  विग्रह मेघ श्याम ,
गंगा तुलसी शालग्राम,
 भंद्रगिरीश्वर सीता राम,
 भगत जनप्रिय सीता राम ,
जानकीरमणा सीताराम,
 जय जय राघव  सीता राम।
जो कि सरासर गलत है इस प्रकार का बदलाव समाज के लिए बड़ा ही बुरा है क्योंकि आपने समाज को एक अंधेरे में रखा और उनकी आस्था के प्रति गहरी चोट पहुंचाई है जो कि चोट क्रांति का भी रूप  ले सकती है। परंतु हिंदू धर्म में अहिंसा परमो धर्म का जो गुणगान किया गया है वह भी महात्मा गांधी ने ही किया था जिसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आप हमारे नीचे दिए गए लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं कि उसमें किस प्रकार का बदलाव किया गया है।
 तो कुछ ऐसी बातें हैं जो हम आपके साथ बांटते रहते हैं और जानकारी पहुंचाते हैं। ब्लॉक को पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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