raghupati raghav raja ram(रघुपति राघव राजा राम)

हमारे दैनिक जीवन में बहुत सारे महोत्सव होते हैं और बहुत सारे दिवस  और जयंती हो या  प्रमुख पर कुछ भजन बजाए जाते हैं और इन्हीं में से कुछ भजनो में कुछ फेरबदल भी किया हुआ होता है। जिन्हें हम दरअसल समझ नहीं पाते हैं और बजने वाला वह  लेटेस्ट भजन ही ओरिजिनल समझ बैठते हैं ।
आज हमारे टोपिक  इसी बारे में है जो कि भजन तो बहुत ही अच्छा और सीधा है परंतु उसे इस तरह से बदलाव किया गया है जिससे समानता का परिचय दिया गया है परंतु जो कि पूर्ण रूप से गलत है क्योंकि किसी भी तरह से समानता को प्रदर्शित करने के लिए किसी भी लिखे गए सुलेख एवं भजन इत्यादि में हमें कोई भी छेड़खानी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि यह किसी को ठेस पहुंचा सकता है। किसी जाति,  संप्रदाय से इस तरह का कोई भी किया गया, वह बदलाव बहुत ही बड़ी क्रांति में बदल सकता है।
 तो आज का यह भजन है - (रघुपति राघव राजा राम) जी हां , आपने बहुत बारी ही गांधी जयंती के अवसर पर सुना होगा।  यह भजन जितना सुनने में मधुर और सुरीला है उतना ही इसके बोल गहरे हैं। इस भजन को सुना जाए तो इसमें बहुत ही गहरे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है भजन कुछ इस प्रकार है -
 पतित पावन सीता राम,
 ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
 सबको सन्मति दे भगवान ।
परंतु इसमें जाति संप्रदाय व धर्म के बीच में असमानता को कम करने के लिए वह सहिष्णु बनाने के लिए बदलाव किया गया है। यह भजन पूर्ण रूप से सही नहीं है इसका ओरिजिनल वर्जन बहुत ही अलग है जो कि केवल हिंदू धर्म में ही प्रयोग किया जाता है ।परंतु उस लिखे हुए भजन को आज तक किसी ने भी गाया नहीं है और गाया भी है तो उसे छिपा दिया गया है और यह बदलाव इस भजन में किसी और ने में बल्कि हमारे पूज्य बापू ने(महात्मा गांधी) ने किया था  जो कि इस प्रकार है-
रघुपति राघव राजाराम,
 पतित पावन सीताराम ,
सीताराम सीताराम ,
भज प्यारे तू सीता राम ,
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम ,
सबको सन्मति दे भगवान।
वास्तविकता में इसके बोल कुछ इस प्रकार हैं-
रघुपति राघव राजाराम,
 पतित पावन सीताराम ,
सुंदर  विग्रह मेघ श्याम ,
गंगा तुलसी शालग्राम,
 भंद्रगिरीश्वर सीता राम,
 भगत जनप्रिय सीता राम ,
जानकीरमणा सीताराम,
 जय जय राघव  सीता राम।
जो कि सरासर गलत है इस प्रकार का बदलाव समाज के लिए बड़ा ही बुरा है क्योंकि आपने समाज को एक अंधेरे में रखा और उनकी आस्था के प्रति गहरी चोट पहुंचाई है जो कि चोट क्रांति का भी रूप  ले सकती है। परंतु हिंदू धर्म में अहिंसा परमो धर्म का जो गुणगान किया गया है वह भी महात्मा गांधी ने ही किया था जिसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आप हमारे नीचे दिए गए लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं कि उसमें किस प्रकार का बदलाव किया गया है।
 तो कुछ ऐसी बातें हैं जो हम आपके साथ बांटते रहते हैं और जानकारी पहुंचाते हैं। ब्लॉक को पढ़ने के लिए धन्यवाद।

4 famous shive temple in india (4 प्रसिध्द शिव मंदिर भारत में)

हमने बहुत से रहस्यों को सुना व देखा होगा जो कि अक्सर हमारे  आसपास में ही घटित होते हैं यह रहस्य इतने आश्चर्यजनक होते हैं कि उन पर विश्वास करना बेहद ही मुश्किल होता है क्योंकि कईयों को यह लगता है कि यह हाथ की सफाई है, कईयों को यह जादू लगता है और कई इन्हें भगवान का चमत्कार मान रहे हैं परंतु असल में कुछ ऐसी बनावट भी है हमारे इस देश में जिसे लोग देखकर आश्चर्यचकित होते हैं और कहते हैं कि नहीं यह वास्तव में कोई रहस्य ही है ऐसे में आज हम बात करने जा रहे हैं भारत के उन चार शिव मंदिरों के बारे में जो कि तथाकथित है -
चार प्रसिद्ध शिव मंदिर भारत में
(4 famous shive temple in india)
 
भारत में ऐसे शिव मंदिर हैं जो केदारनाथ से लेकर रामेश्वरम तक एक सीधी रेखा में बनाए गए हैं आश्चर्य की बात यह है कि हमारे पूर्वजों के पास ऐसा कौन सा विज्ञान और तकनीक थी  जिसे  हम आज तक समझ नहीं पाए हैं। यह रेखा इतनी सीधी है कि जिसे अगर किसी एक स्केल  के माध्यम से देखा जाए तो वह बिल्कुल ही सटीक तौर पर सीधी दिखाई देगी।
जिनमें
 उत्तराखंड का केदारनाथ मंदिर
तेलंगाना का कालेश्वर मंदिर
आंध्र प्रदेश का कालहस्ती मंदिर
तमिलनाडु का एकंबरेश्वर मंदिर। । आदि शामिल है।
सर्वप्रथम
 केदारनाथ मंदिर-
(Kedarnath temple)
 केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रूद्र प्रयाग जिले में स्थित है। यह 12ज्योतिर्लिंगो में   सम्मिलित हैं व चौथा धाम  या पंच केदार भी है यह मंदिर अप्रैल से नवंबर माह में दर्शन के लिए खुलता है । इसका निर्माण पांडव वंश के  जन्मेजय ने  कत्यूरी शैली में करवाया था । इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग है जो की अति प्राचीन है और  बाद में शंकराचार्य जी ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
कालेश्वर मंदिर-
(Kaleshwar temple)-
                      कालेश्वर मंदिर तेलंगाना के करीम नगर जनपद स्थित कालेश्वर मंदिर में शिव को त्रिलिंगदेशम्  (3 लिंगों की भूमि) के 3 मंदिरों में जाना जाता है । यहां पर दो शिवलिंग है इन्हें शिव और यम का प्रतीक माना जाता है इस मंदिर को कालेश्वरम्  मुक्तेश्वरम्  स्वामी देवस्थानम्  नाम से भी जाना जाता है । दो शब्द से बना है कालेश्वरम  (काल +एश्वरम् ) काल का मतलब है जीवन को हरने वाला या जीवन का हरण करने वाला और ऐश्वर का मतलब ईश्वर है , यानी कि जीवन दाता जो कि जीवन बनाता है।
श्री काल हस्ती मंदिर-
(Kalhasti temple)-
                              श्री काल हस्ती मंदिर ,यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के श्री काल हस्ती नामक जगह पर स्थित है ,जो कि तिरुपति से मात्र 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ,इस मंदिर में देवता की प्राण - प्रतिष्ठा वायु तत्व के लिए की गई है ।
एकंबरेश्वर मंदिर-
(Ekambareswarar Temple)- 
                          यह मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है। यहां शिवजी की धरती तत्व के रूप में पूजा की जाती है ।इस विशाल शिव मंदिर को पल्लव राजाओं द्वारा बनवाया गया था और बाद में चोल व विजयनगर के राजाओं ने इसमें सुधार किया । इस मंदिर में जल व कच्चे दूध की अपेक्षा चमेली का सुगंधित तेल चढ़ाया जाता है ।

itihas ki sabse sundar or bevafa rani(इतिहास की सबसे सुन्दर और बेवफा रानी)

हेलो दोस्तों !
इतिहास की सबसे सुन्दर और बेवफा रानी
आप जब इतिहास पढ़ते हैं तो इतिहास में देखते हैं कि आपको बहुत सारे राजा ,रानियों उनके पीढ़ियों तक की जानकारी के बारे में पता चलता है । उनके नाम ,जन्म ,मरण इत्यादि और उनके जीवन काल में लड़े गए युद्ध ,विजेताओं, राज्यों और व्यापार के विस्तार इत्यादि सभी प्रकार की जानकारी मिलती है। राजनीतिक , आर्थिक और सामाजिक जानकारी के साथ-साथ वहां के नियमो की जानकारी मिलती है ।

आज हम जिसके बारे में बात करने जा रहे हैं वह है की इतिहास की सबसे बेवफा रानी कौन थी जितना अजीब है उतना ही बड़ा रोचक है। हां , दोस्तों इतिहास में एक रानी ऐसी भी थी जो सुंदर होने के साथ-साथ बेवफा हुई थी।
 उसके सुंदर और आकर्षक चेहरे के पिछे एक खतरनाक साजिशों से बुना हुआ जाल भी था जिसमें अक्सर दुश्मन राज्यों के राजा व राजकुमार अपनी मृत्यु को प्राप्त होते थे।
कौन थी इतिहास की सबसे सुन्दर और बेवफा रानी?
वैसे तो खूबसूरत की कोई परिभाषा नहीं होती और ना ही खूबसूरती की तुलना की जा सकती है पर आज मैं जिसकी बात करने जा रहा हूं,  वह की सबसे रहस्यमई रानी मानी जाती है वह जितनी सुंदर थी उससे कहीं ज्यादा षड्यंत्रकारी और क्रूर भी थी उसका नाम क्लियोपेट्रा था ।
 कहां जाता है कि वह अपने दुश्मन राजाओं व सैन्य अधिकारियों को अपने हुस्न के जाल में फांस कर उन्हें ठिकाने लगा देती थी ।  17 वर्ष की उम्र में उनके पिता की मृत्यु हो गई उनके छोटे भाई  तोलेमि दियोनिसस को संयुक्त रूप से राज्य प्राप्ति हुई इसके बाद क्लियोपेट्रा ने  शासन को बचाने के लिए रोम साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली तीन राजाओं को अपने प्रेम जाल में फसाया । जुुुुुुलियस सीजर ने  उसे रोम साम्राज्य की रानी  बनने में सहायता की लेकिन जुुुुुुलियस सीजर की  क्लियोपेट्रा नेे धोखे  से हत्या करवा दी गई इस प्रकार वह  रोम साम्राज्य की रानी बन गई । 
तो इस प्रकार की रानी भी हमारे इतिहास में रही है और विश्व के इतिहास में अनेकों ऐसे राजा और रानी है जिनकी पूरी जानकारी नहीं है। और सही जानकारी सामने नहीं आने के कारण हमें उसके  बारे में पूरी जानकारी नहीं मिलती है।
 कैसा लगा ब्लॉक कमेंट  में जरूर बताएं और पढ़ने के लिए धन्यवाद।

1 boll me 286 run (1बॉल में 286रन)


1 बॉल में 286 रन

दोस्तों
          आपने बहुत से खेलों के बारे में सुना होगा और देखा होगा। आज खेल एक प्रोफेशन बन चुका है परंतु पहले ऐसा नहीं था, लोग खेलों में ऐसी रूचि पहले नहीं लेते थे पर आज खेल ,खेल नहीं रहा यह एक भविष्य का सुनहरा अवसर सा बन चुका है ,जिसे लोग अपने जीवन में उतारने पर लगे हुए हैं और खेलों में लोगों की बढ़ती रूचि व्यवसाय को  भी बढ़ावा दे रही है और तेजी से बढ़ता यह व्यवसाय पूरी दुनिया में बड़ी ही जोरों शोरों से अपने पैर जमा रहा हैं।
1 बॉल में 286 रन
आपने अपने जीवन में बहुत से खेलों के बारे में सुना होगा जैसे कि हॉकी ,क्रिकेट, फुटबॉल इत्यादि अक्सर क्रिकेट का नाम लेते हैं तो हमें धोनी, सचिन इत्यादि का नाम सामने आता है व  हमारी भारतीय क्रिकेट टीम के वर्तमान में अभी कप्तान विराट कोहली है 
परंतु यह कोई सुनहरी जानकारी नहीं है और फुटबॉल का नाम लेते हैं तो आपको शायद रोनाल्डो को नाम अवश्य याद आता होगा। रोनाल्डो का पूरा नाम क्रिस्टियानो रोनाल्डो है 
और यह दुनिया में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले प्लेयर में से एक हैं। इंस्टाग्राम पर इनके फॉलोअर्स 250मिलीयन के ऊपर जा चुके हैं तो यह एक बहुत ही खुशी की बात है ।आज फुटबॉल  की पहचान पूरी दुनिया में हो रही है और इन्हीं खेलों से जुड़ी आज की खबर हमारी यह है कि 1 गेंद में 286 रन बनाना एक बेहद घटिया मजाक सा लगता है परंतु असल में यह हकीकत है ।आप ने 1 गेंद में 6 रन साथ ही इससे ज्यादा सुने होंगे हो सकता है आपने 10 रन सुना होगा लेकिन 1 गेंद में 286 रन ही नामुमकिन सा है परंतु नामुमकिन  को मुमकिन होने में  देर नहीं लगती और इसी के बारे में आज हमारा ब्लॉग है।
कैसे बने 1 बॉल में 286 रन ?
दोस्तों ये किस्सा  बहुत पुराना है यह बात है। 15 जनवरी 1894 को ऑस्ट्रेलिया के बॅजबरी मैदान में खेला गया मैच था  और यह मैच विक्टोरिया और स्क्रैच एक्स आई के बीच था बल्लेबाज ने शॉट मारा और गेंद जाकर बाउंड्री के किनारे खड़े पेड़ पर अटक गई जब तक की गेंद को ढूंढा  और पेड़ से उतारा गया तब तक दोनों बल्लेबाज 286 रन भाग चुके थे इस प्रकार से बने 1 बॉल में 286 रन ।यह कहानी जितनी पुरानी है, उतनी ही रोचक लगती है। उस समय यह बात आम होगी परंतु आज के समय में जब कोई कहता है कि 1 बॉल में 286 रन बने थे तो यह हाल-फिलहाल के किसी क्रिकेट मैच मे घटी हुई घटना  लगती है परंतु ऐसा करना नामुमकिन है क्योंकि आज तक अभी तक विश्व के इतिहास में सिर्फ महेंद्र सिंह धोनी ही ऐसे बल्लेबाज हैं।
 जिन्होंने छह बॉलमें छह छक्के मारे थे और 36 रन का रिकॉर्ड बनाया और  यह किसी दूसरे के बस की बात नहीं है। और ऐसे में 1 बॉल में 286 रन बोले तो मजाक सा लगता है परंतु यह हकीकत है और खेलों का महत्व पूरे विश्व को बदल कर रख देने वाला है विश्व का व्यवसाय और व्यापार बाजार इत्यादि सभी लोगों की पसंद  और ना पसंद के ऊपर टिका हुआ है, लोग जिस चीज को जितना ज्यादा पसंद करते हैं और अपने जीवन में और दिनचर्या में उतारते हैं वैसे ही वहां का व्यवसाय और देश का की अर्थव्यवस्थाअर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ता है देश का आयात निर्यात भी उसी पर निर्भर करता है जो चीज देश में नहीं मिलती वह बाहर से आयात करनी पड़ती है और जिस चीज का देश में अधिक  उत्पादन  होता है उस चीज का निर्यात करना पड़ता है तो ऐसा ही इन खेलों में होता है ।अलग अलग स्तर पर अलग अलग प्रकार से खेले जाते हैं और हर स्तर पर खेले जाने वाले खेल को लोग बड़े ही चाव से देखते हैं ।व्यापार का 40%भाग खेलों से जुड़ा हुआ है और 60% दैनिक जीवन से ऐसी ही रोचक जानकारी पाने के लिए हमारे ब्लॉक से जुड़े रहे और पढ़ते रहे ।
 ब्लॉग पढ़ने के लिए धन्यवाद।

Hindi aniwarya (अनिवार्य हिंदी अलंकार)

अलंकार की परिभाषा-
                                "अलम्  करोति इति अलंकार ।"
अर्थात जो अलंकृत करे वही अलंकार होता है।

*अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है -आभूषण या गहना।

*जिस प्रकार स्त्री की सौंदर्य की वृद्धि में आभूषण सहायक होते हैं उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार बढ़ाते हैं।

*आचार्य भामाह के अनुसार "शब्द और अर्थ की विचित्रता हि अलंकार है।"

*आचार्य दंडी के अनुसार" काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व ही अलंकार है।"

*आचार्य रुद्रट के अनुसार "कथन के विशिष्ट प्रकार ही अलंकार है।"
अलंकार के भेद-
                        अलंकार तीन प्रकार के होते हैं --१शब्दालंकार ,   २अर्थालंकार ,  ३उभया अलंकार
१.शब्दालंकार -जहां शब्द में चमत्कार हो रहा हो वहां शब्दालंकार होता हैै।
२.अर्थालंकार -जहां अर्थ में  चमत्कार  होता हो वहां अर्थालंकार होता ।
३.उभया अलंकार -उभयाअलंकार में शब्द और अर्थ दोनों में चमत्कार होता है।

1.यमक अलंकार-
                         काव्य में जब एक ही शब्द की आवर्ती दो या दो से अधिक बार हो और प्रत्येक बार उसके अर्थ में भिन्नताा हो वहां यमक अलंकार होता हैै।
             उदाहरण-
     * कनक -कनक ते सौ गुनी ,मादकता अधिकाय।
        या खायै बौराय, जग वा पायै बौराय है।।
            यहां पर कनक कनक शब्द दो बार आया हैै जहां पर पहले कनक का अर्थ सोना है (स्वर्ण )और दूसरे कनक का अर्थ धतुरा है ।आगेे कहा गया है दोनों की अधिकता खराब हैै क्योंकि जो धतूरा खा ले वह मर जाएगा और जो स्वर्ण को अधिक प्राप्त कर ले वह पागल हो जाएगाा जो कि मरने के समान है।
       * हे तना, तू क्यूं है तना।
               इसमें तना तना शब्द दो बार आया है जिसमें पहले तने का अर्थ पेड़ की टहनी से है और दूसरे तने का अर्थ कठोर या तने हुए या सीधा रहने से है।

2. श्लेष अलंकार-
                     श्लेष का शाब्दिक अर्थ है" चिपका हुआ"।
काव्य में शब्द की आवर्ती एक ही बार होती है लेकिन प्रसंग अनुसार उस शब्द के अनेक अर्थ निकलते हैं, वहां श्लेष अलंकार होता है।
             उदाहरण-
          *रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
            पानी गए ना उबरे मोती मानस चून।।
                  यहां पर पानी शब्द तीन  बार आया है  पानी का अर्थ जल से है अर्थात पानी संभाल कर  रखिए बिना पानी  संसार सुना है और पानी के बिना ना हींं मोती बनेंगे और ना ही मनुष्य जीवित रहेगा और ना ही चून (आटा )पकाया जाएगा।

3. रूपक अलंकार-
                             जब उपमेय पर उपमान का आरोप किया जाता है वहां रूपक अलंकार होता हैैैैैै ।आरोप का अर्थ है दो वस्तुओ को एक ही रूप देना अथवा एक वस्तु को दूसरी वस्तु के साथ इस प्रकार रखना कि दोनों मे कोई भी भिन्नता या भेदता ही ‌ना रहे ।
                उदाहरण-
          * अवधेस के बालक चारि ,सदा तुलसी मन - 
मंदिर में  विहरै।
             यहां पर अवधेस अर्थात अवध देश के 4 बालक राम ,लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न सदैव तुलसीदास जी के मन और मन्दिर में विराजमान हैं अर्थात यहां पर तुलसीदास जी के मन और मन्दिर दोनों में समानता प्रकट की गई है इनमें किसी भी प्रकार से भिन्नता नहीं है।

4. उपमा अलंकार-
                           यह उप +मा शब्दों से बना है। उप का अर्थ हैैैैैै "समीप"  ,   मां का अर्थ है मापना है अर्थात जब किसी प्रस्तुत (उपमेय)की अप्रस्तुत(उपमान ) से उपमा की  जाए तो वहां उपमा अलंकार होता है इसे अलंकारों का राजा माना गया है इसके चार तत्व है उपमेय, उपमान, वाचक शब्द और साधारण धर्म।
    ०   उपमेय-जिसकी उपमा की जाए।
    ०    उपमान-जिससे उपमा की जाए।
    ०   वाचक शब्द- सा, सी, से, सम, इव, सरिस,                                       सदृश्य, के समान, के तरह, तुल्य । 
    ० साधारण धर्म- उपमेय तथा उपमान का समान गुण।
               उदाहरण-
         * सागर सा धीर गंभीर हृदय है ।
                इसमें उपमेय - हृदय
                        उपमान- सागर
                        वाचक शब्द- सा
                        साधारण धर्म- धीर गंभीर है।
5. उत्प्रेक्षा अलंकार-
                             जहां उपमेय में उपमान की संभावना व्यक्त की जाए वहांं उत्प्रेक्षा अलंकार होता है । इसकी पहचान के लिए वाचक शब्द - मनु , मानो, जनु, जानो, मन्हुुुु , जन्हु , मान्हु , जान्हुु।
               उदाहरण-
           * सोहत ओढ़े पीत पट श्याम सलोने गात ।
         मानो नीलमणि शैल पर आत्प परयौ प्रभात ।।
                     इसमें कहा गया है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने नीले रंंग के शरीर पर पीला वस्त्र ओढ़ कर सो रहे हैं जैसे कि नील मणि पर्वत पर सूरज का प्रकाश फैला हो और सुबह का समय हो रहा हो।

6. विरोधाभास अलंकार-
                                   जहां विरोध ना होने पर भी विरोध का  आभास होता  है ।वहां विरोधाभास अलंकार होता हैै । अर्थात जिस  किसी वाक्य में  विरोध का भाव उत्पन्न ही ना हो रहा हो और फिर  भी विरोध किया जा रहा हो वहां विरोधाभास अलंकार होता हैै।
              उदाहरण-
        *मैं अंधा भी देख रहा हूं ,तुम रोती हो तुम रोती हो।
                इस वाक्य में रोते हुए को एक अंधा  देखने का दावा करता जिससे कि स्पष्ट रूप से विरोध का भाव उत्पन्न हो रहा है ,इसलिए यहां विरोधाभास अलंकार है ।

7. अनुप्रास अलंकार-
                                             अनुप्रास का अर्थ है।        (अनु+प्रास )अर्थात  ( पास पास )। इसमें हिंदी वर्णमाला के वर्णों या शब्दो को इस तरफ निकट रखा जाता है कि उनकी बार-बार आवृत्ति की एक छटा बन जाती है ।अन्य शब्दों में एक ही वर्ण या शब्द की आवृत्ति जहां बार-बार होती है वहां अनुप्रास अलंकार होता है।
इसके पांच भेद होते हैं जिनके नाम निम्न वत है --
        ० छेकानुप्रास
        ० वृत्यानुप्रास
        ० श्रुत्यानुप्रास
        ० लाटानुप्रास
        ०अन्त्यानुप्रास
               उदाहरण-
           *तरनि - तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छायै।
              इसमें  "त"  वर्ण की बार-बार पुनरावृति हो रही है।
           * भगवान भक्तों की भयंकर भुरी भिति भगाइए।
              इसमें  "भ "  वर्ण की बार-बार पुनरावृति हो रही है। 

8. उदाहरण अलंकार-
                              काव्य में जहां एक कथन की पुष्टि के लिए दूसरे कथन को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है वहां उदाहरण अलंकार होता है उदाहरण अलंकार में वाचक शब्द (ज्यो , जैसे )  आदि का प्रयोग होता है।
          उदाहरण-
      * नयना  देय बताय सब हिय को हेत अहेत।
        जैसे निर्मल आरसी ,भली बुरी कहीं देत।।
           इसमें कहा गया है कि नेत्र जो है वह हृदय का हित अहित एक पल में बता देते हैं जैसे कि कोई निर्मल हृदय वाला व्यक्ति भली बुरी जो भी हो कह देता है बिना भावनाओं को जाने।

              

Hindi sahitya ke alankar/(हिंदी साहित्य के अलंकार)

हिंदी साहित्य में बहुत से अलंकार होते हैं परंतु आज हम जिन अलंकारों की बात करने जाते हैं वह प्रमुख रूप से पूछे जाते हैं परीक्षाओं में यह कुल 8 प्रकार के हैं

1. अन्योक्ति अलंकार-
                                 जहां  अप्रस्तुत के वर्णन के माध्यम से प्रस्तुत का ज्ञान होता हो वहां अन्योक्ति अलंकार होता है। यह अर्थालंकार है इसे अन्योक्ति इसलिए  कहा जाता है की जिससे कुछ कहना होता है उससे ना कह कर अन्य से कहा जाता है तथा इस प्रकार से उसे सूचित किया जाता है इसमें किसी वस्तु का सीधा वर्णन ना करके उसी के समान किसी और वस्तु का वर्णन करके उस वस्तु का ज्ञान कराया जाता हैै।
            उदाहरण-
       * माली आवत देखिके ,कलियन करे पुकार।
          फूले -फूले चुन लिए, काल्हि हमारी बार ।।
      इसमें वर्णन माली, कलियों और फूलों का है यह अप्रस्तुत है ,इनसे काल ,युवा पुरुषों और वृद्ध जनों का अर्थ व्यक्त हुआ है । प्रस्तुत अर्थ है काल अर्थात यमराज वृद्धजनों को ले जा रहा है, कुछ समय बाद हमारी भी बारी आएगी।
2. समासोक्ति अलंकार-
                                  जहां पर कार्य, लिंग या विशेषण की समानता के कारण प्रस्तुत के कथन में अप्रस्तुत व्यवहार का समारोप होता है  अथवा अप्रस्तुत का स्पूर्ण होता है वहां समासोक्ति अलंकार होता है।
              उदाहरण-
         *सिंधु सेज पर धरा वधू अब,
                        तनिक संकुचित बैठी-सी ।
           प्रलय निशा की हलचल स्मृति में,
                        मान किए सी, ऐंठी सी । ।
          इसमें समान विशेषण के द्वारा धरा ( पृथ्वी) एवं नायिका का वर्णन एक साथ किया गया है इसलिए समासोक्ति अलंकार है।
3. विभावना अलंकार-
                               जब कारण के बिना ही कार्य की उत्पत्ति हो तब वहां विभावना अलंकार होता है। इसमें बिनाा, बिनुु, बिन्हूं आदि शब्द इसकी पहचान प्रकट करते हैं ।यह विशेषोक्ति  अलंकार का विपरीतार्थक है।
               उदाहरण-
         *बिनु पद चले, सुने बिनु काना।
          कर बिनु कर्म करे विधि नाना ।।
           बिनु (बिना )पद ( पैर) चलने की और सुने (सुनना )बिनु (बिना )कान के
           कर (हाथ )कर्म (कार्य) करने कीऔर विधि (विभिन्न) काम करने की बात हो रही है।
           
          *निंदक नियरे राखिए ,आंगन कुटी छवाय।
           बिन पानी साबुन बिना ,निर्मल करे सुभाय।।
         इसमें निंदा करनेे वालों को पास मेंं घर केेेे आंगन में रखने के लिए कहा गया है जोकि बिना साबुन और बिना जल के ही आपको निर्मल कर देंगे अर्थात् वह आपको कह कह कर पूर्ण रूप से सटीक एवं सार्थक और स्वाभिमानी  व्यक्ति बना देंगे।
4. विशेषोक्ति अलंकार-
                                  जहां कारण होने पर भी कार्य का न होना प्रदर्शित किया जाए वहां विशेषोक्ति अलंकार होता है ।यह विभावना का विपरीतार्थक होता है ।
             उदाहरण-
        *नेह न नैननी को कछु, उपजी बड़ी बलाय।
         नीर भरे नित प्रति रहें, तऊ न प्यास बुझाय ।।
      यहां प्यास बुझाना कार्य है और कारण नीर अर्थात पानी है ।नीर नयन में रहता है और जल से प्यास बुझनी चाहिए परंतु उससेेेे प्यास नहीं बुझ रही कारण विद्यमान है फिर भी कार्य नहीं होना वर्णित है।  यहांं विशेषोक्ति अलंकार है
5.दृष्टांत अलंकार-
                      दृष्टांत अलंकार  उस अलंकार को कहते हैं जिसमें उपमेय और उपमान वाक्य दोनों में उपमान ,उपमेय और साधारण धर्म का बिंब प्रतिबिंब भाव दिखाई देता है ।पहलेेेे एक बात कहीं जाती है फिर उससे मिलती-जुलती दूूूसरी बात कही जाती है इस प्रकार    उपमेय वाक्य की उपमान वाक्य से बिम्बात्मक समानता प्रकट की जाती है।
             उदाहरण-
         * बिगड़ी बात बने नहीं,लाख करो किन कोय।
           रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।
               यहां पर कहा गया है कि एक बार बात बिगड़ने पर भी वह पुरानी जैसी नहीं रहती उसमें कोई ना कोई बाधा जरूर आती है अर्थात कोई न कोई चूक रह जाती है आगे कहते हैं कि रहिमन फाटे दूध को मथे न माखन होय मतलब फटे हुए दूध को कितना भी मथ लो लेकिन उसका मक्खन नहीं निकलेगा क्योंकि मक्खन बनाने से पहले फटे हुए दूध को दही में बदलना पड़ता है और दही को मथने पर ही माखन बनता है तो यहां पर बात की और दूध की बिंबात्मक समानता प्रकट की गई है यहां पर दृष्टांत अलंकार है।
6. प्रतीप अलंकार-
                           प्रतीप का अर्थ है 'उल्टा' । जहांं प्रसिद्ध उपमान का उपमेय की तुलना में अपकर्ष प्रकट किया जाता है वहां प्रतीप अलंकार होता है। यह उपमा अलंकार के विपरीतार्थक होने पर 'प्रतीप' कहलाता है।
                उदाहरण-
       *सिय मुख समता पांव किमी , चन्द्र बापुरो रंक।
       इसमें प्रसिद्ध उपमान चंद्रमा को हीन बता कर सिय (सीता)मुख अर्थात् उपमेय को उत्कर्ष दिखाया गया है।
7. मानवीकरण अलंकार-
                                     यह पाश्चात्य अलंकार है। इसमें जड़ पदार्थों, प्राकृतिक दृश्य तथा अमूूर्त वस्तुओं का वर्णन जब उन्हें मानव अनुभूतियों का मूल रूप और व्यक्तित्व प्रदान करते हुए किया जाता है वहां मानवीकरण अलंकार होता है।
               उदाहरण-
           * कली से कहता था मधुमास,
              बता दो मधु मदिरा का मोल।
          इसमें कली और मधुमास ( वसंत ऋतु ) दोनों अचेतन है परंतु उन्हें मानव की तरह बातें करते हुुुए मूर्त रुप में दिखाया गया हैै।
8. व्यतिरेक अलंकार-
                               व्यतिरेक अलंकार वह होता है ,जिसमें उपमान की अपेक्षा उपमेय का उत्कर्ष दिखाया जाता है ।व्यतिरेक में उपमान की तुलना में उपमेय में अधिक गुण बताकर उसकी उपमान से श्रेष्ठाता प्रकट की जाती है। उपमेय की उपमान से श्रेष्ठता का आधार उसमें अधिक विशेषताओं का होना होता है।
             उदाहरण-
           *साधु उच्च है, सेल सम, किंतु प्रकृति सुकुमार ।
           इसमें साधु उपमेय हैं और शैल(पर्वत) और प्रकृृति दोनों उपमान इसमें साधु की उच्चता उसकी सबसे अधिक विशेषता है ।इस कारण उपमेय की उच्चता और उपमान की निम्नता ही व्यतिरेक अलंकार है।

हाथी की कहानी

आज हमने आसपास हम बहुत से जानवरों को देखते हैं परंतु कई ऐसे जानवर है जो कि साधारण है लेकिन आज पतन के कगार पर हैं जैसे कि आज हम अपने आसपास कुत्ते ही रहा है भैंस बकरी बिल्ली पक्षियों को भी देखते हैं पर पक्षियों में भी आजकल बहुत से पक्षी हमें कम दिखाई देते हैं इन्हीं में से एक जानवर है हाथी जो हमें आजकल बहुत ही कम दिखाई देता है परंतु कई सालों पहले 10 साल 5 साल पहले वह हमारे घरों के आसपास आते जाते रहते थे इन हाथियों की संख्या लगातार कम होती रही है इनकी घटती संख्या इनके पतन की ओर इशारा करती है।
 
हाथी बारे में बहुत ही रोचक तथ्य आज हमारे पास मौजूद है इस पर बहुत सारे वैज्ञानिकों ने बहुत बारिकी से रिसर्च किया है आज हम इनको केवल सर्कस और जू यानी चीडियाघर के पिंजरे में ही देख सकते हैं परंतु वास्तव में इन्हें हम अपनी वास्तविक जीवन में हमारे घर के आस-पास नहीं दे सकते हैं इनकी घटती हुई संख्या इनकी खत्म होने की दिशा को निर्देशित करते हैं इसी को ध्यान में रखते हुए आज का है हमारा तथ्य हाथी के बारे में ही है जो कि बहुत ही रोचक और जानकारी भरा हो सकता है।
 
आपने हाथी के बारे में बहुत सी जानकारियां सुनी होगी लेकिन हाथी के बारे में यह भी सुन लीजिए की हाथी की सूंड जिसके बारे में आज हम बताने जा रहे हैं कि हाथी की सूंड में क्या आपको पता है कि कितनी मांसपेशियां होती है यह आज तक सबसे गूढ़ रहस्य बन चुका है क्योंकि इससे गिन पाना लगभग नामुमकिन है।
 
आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि आपने केवल अभी तक ब्लॉग को पढ़कर इतना ही समझा होगा कि हाथी की सूंड में हड्डी नहीं होती या फिर 100 से 400 मांसपेशियां होती है लेकिन हम आपको बता दें की हाथी की सूंड में 200 या 400 नहीं ना ही 1000से 2000 और ना ही 4000 या 10000 बल्कि हाथी की सूंड में 40000 मांसपेशियां होती है यह बहुत ही आश्चर्यजनक बात है कि इतनी मांसपेशियां होने के बाद भी यह इतनी लचीली और बड़ी दृढ़ता से काम करती है जो कि हाथी के हाथ की तरह काम करती है एक भुजा जिस तरह काम करती है पूर्ण रूप से उसी तरह यह सूंड हाथी को खाना खाने में नहाने में पानी पीने में अत्यधिक कामों में काम आती है परंतु इतनी भारी-भरकम मांसपेशियो के समूह में एक भी हड्डी नहीं होती यह सबसे रोचक और चौंकाने वाला तथ्य है।
 

 तो इसी तरह हमारे साथ जुड़े रहे हैं और इसी तरह की रोचक तथ्य और जानकारी पाते रहें ब्लॉग पढ़ने के लिए धन्यवाद ।

मगरमच्छ के बारे में जानकारी

आज हम अपने आसपास बहुत से जीव जंतुओं को देखते हैं परंतु कई ऐसे जीव है जो हमें दिखाई नहीं देते हैं और कई प्रजातियां बहुत साल पहले ही विलुप्त हो चुकी है परंतु आज सबसे ज्यादा निवास करने वाला जीव मनुष्य है जिसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है परंतु मनुष्य से भी ज्यादा तेजी से बढ़ने वाली संख्या है कीट पतंगों और जीवाणु विषाणु की यह संख्या लाख दो लाख करोड़ों में नहीं बल्कि अरबों खरबों में बढ़ती है और आज के इस युग में कोई यह नहीं जानता की धरती से ज्यादा जीव जल या समुद्र के अंदर निवास करते हैं यह बहुत ही अनसुलझा रहस्य है जिसे आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए इन्हीं समुद्री जीवो में से एक खास बात आज हम मगरमच्छ के बारे में बताने जा रहे हैं।
 
मगरमच्छ के बारे में तो आपने सुना ही होगा यह जीव पानी के अंदर और बाहर दोनों तरफ विचरण करता है अक्सर ऐसे जिव उभयचर कहलाते हैं जोकि पानी के अंदर व बाहर या फिर कीचड़ जैसे इलाके में भी आराम से रह सकते हैं जैसे कि मेंढक इत्यादि।
 

समुद्र में रहने वाले इस जीव की अनेकों खास बातें है पर इन में से एक यह है की यह पानी के अंदर वह बाहर दोनों तरफ रह सकता है इसकी जबड़े की मांसपेशियां अन्य जीवो के मुकाबले बेहद ज्यादा मजबूत और भारी होती है इसकी आंखें करीबन 180 डिग्री तक घूमती है परंतु साथ ही चौंकाने वाली बात यह है की इस जीव के मुंह में दांत होते हैं और जीभ भी होती है। आमतौर पर जीवो के मुंह में नीचे की तरफ पाई जाती है लेकिन मगरमच्छ में यह जीभ मुंह के ऊपर के भाग में पाई जाती है यानी तालु से चिपकी हुई होती है।
यह जीभ मगरमच्छ को भोजन करने में या भोजन को निगलने में और नाही उसको पचाने में और ना ही उसका स्वाद चखने में मदद करती है बल्कि यह जीभ मगरमच्छ के मुंह के अंदर हिलती भी नहीं है बस तालु से चिपकी हुई रहती है परंतु मगरमच्छ के मुंह के अंदर इस जीभ का अपना ही एक रहस्य है वैज्ञानिकों का मानना है की इस जीभ से बनने वाली लार मनुष्य की लार से बहुत ज्यादा ताकतवर होती है जोकि आमतौर पर मनुष्य की लार से भोजन में पाई जाने वाली वसा का पाचन होता है जबकि मगरमच्छ के मुंह के अंदर उस जीभ से बनने वाली लार से कांच तक को पिघलाया जा सकता है और साथ ही स्टील को भी पिघलाया जा सकता है जोकि बहुत ही कठोर धातु में से एक मानी जाती है इतनी शक्तिशाली लार के साथ वह अपने बड़े से बड़े शिकार व भोजन को बड़ी ही आसानी से पचा सकता है और वह भोजन को बिना चबाए है उसे सीधा ही निगल लेता है।
तो आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं और ब्लॉग पढ़ने के लिए धन्यवाद।

पैसे की ताकत/कीमत

पैसा क्या है?
पुराने समय में वस्तु विनिमय ही एकमात्र साधन होता था लेकिन आज के समय में यह साधन मुद्रा के रूप में विनिमय का बन गया है आज प्रत्येक व्यक्ति अपनी जीविका चलने के लिए कोई न कोई सेवा या कोई वस्तु का क्रय विक्रय करता है जिसके द्वारा व मुद्रा कमाता है उसके द्वारा अपना जीवन व्यतीत करता है या जीवन यापन करता है यही मुद्रा जो है उसका नाम ही पैसा है यह अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग नाम से जानी जाती है जिसे भारत में रुपया श्रीलंका में टक्का इत्यादि इसे ग्रुप में समझा जा सकता है ।

लेकिन पैसे की ताकत क्या है पैसे की शक्ति क्या है यह कोई जानता तो चलो शुरू करते हैं आज के पहले ब्लॉक में जिसमें हम बताएंगे कि क्या है पैसे की ताकत क्या है पैसे की शक्ति शुरू करते हैं अमेजिंग फैक्ट

तो पैसे की ताकत है क्या चलिए जानते हैं
मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि आज तक आपको किसी ने भी यह कभी भी नहीं बताया होगा और ना ही आपने यह तथ्य कभी भी कहीं पढ़ा होगा और ना ही यह साइकोलॉजी में है ना इस फिजिक्स में है यकीन मानिए यहां तक कि इतिहास में भी नहीं है आम रोजमर्रा की जिंदगी में इसे जीते सभी हैं ढोते सभी हैं महसूस सभी करते हैं लेकिन कहता कोई नहीं नहीं इसके बारे में कोई सोचता है कोई ध्यान भी नहीं देता यह है इसी प्रकार है कुछ भी कर देते हैं क्या है इसके बारे में जानते हैं और पैसे की बहुत सी जानकारीपैसे की जानकारी आपको बहुत सी किताबों में मिल जाएगी लेकिन कई पैसे की जानकारियां आप को किताबों में नहीं जीवन में ही रहे पड़ती है जैसे कि पैसे की पावर यात्रा करें पैसे की परचेसिंग पावर यानी कि पैसे की खरीदने की शक्ति तो आपने जरूर देखी होगी लेकिन ऐसी की ऐसी ताकत 

जिसे आप ने अनुभव किया होगा पर कहा किसी को नहीं है वह यह है कि आपके शरीर में कितना भी कष्ट हो कितनी पीड़ा हो आपके शरीर में गांव लगा हो लेकिन यदि आपके हाथ में नोटों की गड्डी रख ली जाए धन की अपार अपार धन रख दिया जाए तो यकीन मानिए आप खत्म हो जाएगा तो यह एक बहुत ही अलग किस्म की खासियत है जिंदगी में बहुत ही रोचक जानकारी मिली होगी इसी तरह हमारे साथ जुड़े रहिए धन्यवाद।

भाषा और लिपि का परिचय और अंतर कक्षा 12 pdf

संसार में संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी , बांग्ला , गुजराती , उर्दू,  मलयालम ,पंजाबी ,उड़िया, जर्मन  , इतालवी , चीनी जैसी अनेक भाषाएं हैं ।भारत अ...